पर्यावरण और शहर
पर्यावरण और शहर
पर्यावरण दो शब्दों के मेल से बना है - परि और आवरण। 'परि' का मतलब है हमारे चारों ओर का वातावरण और 'आवरण' से तात्पर्य है -पर्दा। इस प्रकार पर्यावरण शब्द की उत्पत्ति हमारे चारों ओर के वातावरण के सृजन से है।
पर्यावरण वायु, जल, मृदा, मानव और वृक्षों से मिलकर बना है। इनमें से किसी भी एक तत्व का यदि क्षरण होता है तो उसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है। पर्यावरण जिन कारकों को लेकर बना है उनमें से एक भी कारक यदि प्रभावित होता है तो हमारा पर्यावरणीय वातावरण भी प्रभावित होता है और अनेक संकट और चुनौतियाँ सामने आती हैं।
प्रदूषण भी पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी बना हुआ है। पेड़-पौधे, जलवायु मानव जीवन को प्रभावित करते हैं। किसी भी एक तल के असंतुलित होने पर पर्यावरण प्रक्रिया असहज हो जाती है जिसका सीधा असर मानव जीवन पर देखने को मिलता है। विश्व ने जैसे-जैसे विकास और प्रगति हासिल की है, वैसे वैसे पर्यावरण असंतुलित होता गया है। गाँव की अपेक्षा शहरों में यह असंतुलन ज्यादा दिखाई देता है। शहरों की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियाँ, कल-कारखाने, उससे निकलते धुएँ, वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, नदी और तालाबों का प्रदूषित होना आदि घटनाएँ पर्यावरण के साथ खिलवाड़ हैं। हमने प्रगति की दौड़ में मिसाल कायम की है मगर पर्यावरण का कभी ध्यान नहीं रखा जिसके फलस्वरूप पेड़-पौधों से लेकर नदी, तालाब और वायुमंडल प्रदूषित हुआ है। आज प्रदूषण इस कदर बढ़ चुका है कि मनुष्य का सांस लेना भी दुर्लभ हो गया है।
शहरों में विषैली गैसों, धुएँ आदि ने मनुष्य के शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालकर उसकी रोधक क्षमता को दीमक बन कर घुन लगा दिया है तभी छोटी-छोटी बीमारियाँ भी उनके लिए घातक बन जाती हैं। गाड़ियों के अत्यधिक प्रयोग, ए. सी आदि अनेक उपकरणों ने पर्यावरण पर ऐसा नकारात्मक प्रभाव डाला है जो निरंतर बढ़ता ही चला जा रहा है।
पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा कुछ आवश्यक कदम उठाए जाना अत्यंत आवश्यक है। जैसे- विषैली और खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों के निपटने के लिए सख्त कानूनों का प्रावधान होना चाहिए। कृषि क्षेत्र में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कम से कम होना चाहिए, पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए, मिलों-कारखानों तथा व्यवसायिक इलाकों में अविलंब प्रदूषण नियंत्रण के संयंत्र लगाए जाने चाहिए। शांतिपूर्ण जीवन के लिए शोरगुल वाली ध्वनि को सीमित और नियंत्रित करना चाहिए। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक से अधिक प्रयोग तथा पेड़ लगाने की प्रक्रिया भी इस क्षेत्र में एक प्रभावी कदम साबित होगा। तो आइये हम सभी इस क्षेत्र में कदम बढ़ाए और पॉलिथीन का कम से कम प्रयोग करें, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण संतुलन में अपना पूर्ण सहयोग दें तभी पर्यावरण हमारे लिए लाभदायक सिद्ध होगा।
अयांश गोयल
Aliya khan
12-Mar-2022 12:43 AM
बहुत खूब
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Ayaansh Goyal
14-Mar-2022 03:00 PM
धन्यवाद आलिया जी
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Lotus🙂
12-Mar-2022 12:40 AM
बहुत सुंदर चित्रण
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Ayaansh Goyal
14-Mar-2022 02:57 PM
Thank you
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